बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 हिन्दी - साहित्यशास्त्र और हिन्दी आलोचना बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 हिन्दी - साहित्यशास्त्र और हिन्दी आलोचनासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 हिन्दी - साहित्यशास्त्र और हिन्दी आलोचना- सरल प्रश्नोत्तर
कॉलरिज
प्रश्न- कॉलरिज के काव्य-सिद्धान्त पर विचार व्यक्त कीजिए।
अथवा
कॉलरिज के 'कल्पना सिद्धान्त' का परिचय दीजिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कॉलरिज के कल्पना, सिद्धान्त पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
2. कॉलरिज के अनुसार कविता की परिभाषा क्या है? स्पष्ट कीजिए।
3. कॉलरिज ने काव्य रचना में किन-किन बातों पर ध्यान दिया? विश्लेषण कीजिए।
उत्तर -
प्रतिभासम्पन्न कवि आलोचक कॉलरिज का स्थान पाश्चात्य काव्यशास्त्र में महत्वपूर्ण है। इनका पूरा नाम सैमुअल टेलर कॉलरिज था। सन् 1722 से 1834 तक उनका काल माना जाता है। ये कवि वर्ड्सवर्थ के मित्र और सहयोगी भी थे। इनकी रचनाओं में 'वॉयग्रेफिका लिट्रेरिया और लैक्चर्स ऑन सेक्सपियर' को विशेष ख्याति मिली थी। दार्शनिक होने के कारण इनकी मान्यताओं में चिन्तन की प्रधानता समाहित हो गई है।
कॉलरिज ने कविता की परिभाषा देते हुए कहा है, "सर्वोत्तम शब्द अपने सर्वोत्तम क्रम में कविता होती है। Poetry is the best words in their best order. यहाँ प्रश्न यह है कि सर्वोत्तम शब्द कौन हैं और उनका सर्वोत्तम क्रम क्या है? सबसे उत्तम अर्थ देने वाले स्वर्ग, सोना, पुष्प, सौन्दर्य, अमृत आदि शब्द उत्तम होने चाहिए। ऐसी दशा में मृत्यु कीचड़, नरक आदि शब्द बुरे होंगे और काव्य के क्षेत्र से उसे निकल जाना पड़ेगा। परन्तु इन शब्दों और इनके पर्यायों का उत्तम काव्य में अत्यधिक व्यवहार होता है।
कंल्पना सिद्धान्त : कॉलरिज के अनुसार कल्पना दो प्रकार की होती है प्रारम्भिक (Primary) और विशिष्ट (Secondary) कॉलरिज के अनुसार, "कल्पना द्वारा ही काव्य हृदयग्राही, मर्मस्पर्शी और सजीव बनता है, अतः कल्पना की क्षमता और महत्व अक्षुण्ण है। कल्पना प्रयोग की अन्तः शक्ति कवि का सर्वश्रेष्ठ गुण है। और उसका समुचित प्रयोग काव्योत्कर्ष के क्षणों की समुचित देन है।" वे इसे इस ढंग से कहते हैं- "The imagination is a power which the artist can only use when he is at his best. "
अर्थात् कल्पना वह शक्ति है जिसका प्रयोग कलाकार अपने सर्वोत्तम भावात्मक क्षणों में करता है।
(i) आद्य कल्पना - Primary Imagination : कॉलरिज के अनुसार - "Power of percieving the objects of senser." अर्थात् इन्द्रिय गोचर पदार्थों की प्रतीतानुभूति की क्षमता। इसकी व्याख्या इस प्रकार की गयी है। उन्होंने इसे और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा, "The primary imagination I hold to be the living power and prime agent of all human preceptions."
(प्राथमिक कल्पना एक जीवति एवं महत्वपूर्ण शक्ति है, जिसमें हमें मानवीय पदार्थों का बोध होता है) अर्थात् इन्द्रियों द्वारा जिन विभिन्न वस्तुओं का बोध होता है, यह कल्पना ही उन्हें व्यवस्था में ढालती है, अव्यवस्थित बिखरे बिम्बों को शनैः-शनैः ज्ञान का रूप प्रदान करती है यह स्वाभाविक और सहज मानवीय गुण है।
(ii) गौण कल्पना (Secondary Imagination) : यह विशिष्ट लोगों में पायी जाती है। सत्यदेव मिश्र के अनुसार "यह (कल्पना) प्रकृति में पदार्थों के पाये जाने वाले अव्यवस्थित स्वरूप को निश्चित रूप देने की इस अन्तःशक्ति का अभिप्रेत (Voluntary) प्रयोग है। प्रथम यदि रूपकार ढालने का अनभिप्रेय अन्तःशक्ति है तो दूसरी अभिप्रेय अन्तः शक्ति। कहना यह है कि गौण कल्पना प्रारम्भिक कल्पना का ही वह विकसित रूप है, जिसका प्रयोग सर्जक स्वेच्छा से करता है। गौण कल्पना एक संयुक्त आत्मिक ऊर्जा है, जिसमें मनःशक्ति अथवा आत्म-शक्ति के अन्य सभी पहलू प्रत्यक्ष ज्ञान शक्ति (Power of perception), विचार शक्ति (Intellect), संकल्प शक्ति (Will Power), मनोवेग (Emotion ) आदि सभी समाहित हो जाते हैं। उनके अनुसार "It Secondary imagination is a compasete faculty of the soul. Consisting all alter faculties, perception intellect with emotions while the primary imagination uses only the first pertion, it employs all."
महत्व : वे कल्पना को ही काव्य का मूलाधार स्वीकार करते हैं, क्योंकि विरोधी गुणों में सामंजस्य वही स्थापित करती है।
"It is the unifying faculty of imagination that the opposite forces are reconciled."
डॉ. देवीशरण रस्तोगी के अनुसार - "प्रकृति के पुनः सर्जन में भी कल्पना ही सहायक होती है। कलाकार प्रकृति की अनुकृति नहीं करता, क्योंकि वह जानता है कि वह प्रकृति से जीत नहीं सकता। इसलिए वह पुनः सर्जन को ओर बढ़ता है। वह प्रकृति को अधिक सुन्दर रूप में प्रस्तुत करता है। वह बहिजगत से प्राप्त सूत्रों का समावेश कर प्रकृति को अधिक पूर्णरूप प्रदान करता है।"
कॉलरिज के अनुसार - कल्पना की महत्ता तथा क्षमता अपरिमित है, वह कवि का अनिवार्य गुण है और कवि उसका प्रयोग उत्कर्ष के ही क्षणों में करता है। "Imagination is a power which the artist can only use when he is at his best."
ललित कल्पना : डॉ. तारकनाथ बाली के अनुसार - "कॉलरिज ने दिवास्वप्न में बिम्बों का निर्माण करने वाली शक्ति को कल्पना कहा तथा दोनों में एक प्रकार का अन्तर माना। ललित कल्पना या फैन्सी एक ऐसी शक्ति जो प्रत्ययों का संश्लेषण तो करती हैं, मगर यह संश्लेषण रचनात्मक नहीं होता, जड़ एवं विशृंखल होता है। यह एक प्रकार की शक्ति है, जिसका व्यक्तिगत जीवन में दिवास्वप्न में उपयोग होता है मगर जो किसी सार्थक आस्वाद्य बिम्ब का निर्माण नहीं कर सकती।'
"ललित कल्पना के विपरीत कल्पना आत्मा की एक शक्ति है जो दिव्य होने के साथ-साथ सर्जनात्मक है। रचनात्मकता उसका मूल गुण है। कल्पना द्वारा निर्मित बिम्बों में सम्बद्धता होती है क्रम होता है, सावयविक एकता होती है तथा वे आस्वाद्य होते हैं। इस प्रकार ललित कल्पना एक निम्न स्तर की शक्ति है जो ऐसी स्मृति का रूप है जो रचनात्मक तो नहीं होती, लेकिन आस्वाद्य होती है।'
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- प्रश्न- काव्य के प्रयोजन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय आचार्यों के मतानुसार काव्य के प्रयोजन का प्रतिपादन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आचायों के मतानुसार काव्य प्रयोजन किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पाश्चात्य मत के अनुसार काव्य प्रयोजनों पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आचायों के काव्य-प्रयोजन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- आचार्य मम्मट के आधार पर काव्य प्रयोजनों का नाम लिखिए और किसी एक काव्य प्रयोजन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय आचार्यों द्वारा निर्दिष्ट काव्य लक्षणों का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- हिन्दी के कवियों एवं आचार्यों द्वारा प्रस्तुत काव्य-लक्षणों में मौलिकता का अभाव है। इस मत के सन्दर्भ में हिन्दी काव्य लक्षणों का निरीक्षण कीजिए 1
- प्रश्न- पाश्चात्य विद्वानों द्वारा बताये गये काव्य-लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य मम्मट द्वारा प्रदत्त काव्य-लक्षण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्' काव्य की यह परिभाषा किस आचार्य की है? इसके आधार पर काव्य के स्वरूप का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य क्या है? इसके सर्वमान्य लक्षण लिखिए।
- प्रश्न- काव्य गुणों की चर्चा करते हुए माधुर्य गुण के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मम्मट के काव्य लक्षण को स्पष्ट करते हुए उठायी गयी आपत्तियों को लिखिए।
- प्रश्न- 'उदात्त' को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- काव्य हेतु पर भारतीय विचारकों के मतों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- काव्य के प्रकारों का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- स्थायी भाव पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रस के स्वरूप का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- काव्य हेतु के रूप में निर्दिष्ट 'अभ्यास' की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'रस' का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके अवयवों (भेदों) का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काव्य की आत्मा पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय काव्यशास्त्र में आचार्य ने अलंकारों को काव्य सौन्दर्य का भूल कारण मानकर उन्हें ही काव्य का सर्वस्व घोषित किया है। इस सिद्धान्त को स्वीकार करने में आपकी क्या आपत्ति है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काव्यशास्त्रीय सम्प्रदायों के महत्व को उल्लिखित करते हुए किसी एक सम्प्रदाय का सम्यक् विश्लेषण कीजिए?
- प्रश्न- अलंकार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अलंकार और अलंकार्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- अलंकारों का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- 'तदोषौ शब्दार्थों सगुणावनलंकृती पुनः क्वापि कथन किस आचार्य का है? इस मुक्ति के आधार पर काव्य में अलंकार की स्थिति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते' कथन किस आचार्य का है? इसका सम्बन्ध किस काव्य-सम्प्रदाय से है?
- प्रश्न- हिन्दी में स्वीकृत दो पाश्चात्य अलंकारों का उदाहरण सहित परिचय दीजिए।
- प्रश्न- काव्यालंकार के रचनाकार कौन थे? इनकी अलंकार सिद्धान्त सम्बन्धी परिभाषा को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी रीति काव्य परम्परा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काव्य में रीति को सर्वाधिक महत्व देने वाले आचार्य कौन हैं? रीति के मुख्य भेद कौन से हैं?
- प्रश्न- रीति सिद्धान्त की अन्य भारतीय सम्प्रदायों से तुलना कीजिए।
- प्रश्न- रस सिद्धान्त के सूत्र की महाशंकुक द्वारा की गयी व्याख्या का विरोध किन तर्कों के आधार पर किया गया है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ध्वनि सिद्धान्त की भाषा एवं स्वरूप पर संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वाच्यार्थ और व्यंग्यार्थ ध्वनि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'अभिधा' किसे कहते हैं?
- प्रश्न- 'लक्षणा' किसे कहते हैं?
- प्रश्न- काव्य में व्यञ्जना शक्ति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संलक्ष्यक्रम ध्वनि को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दी गई पंक्तियों में में प्रयुक्त ध्वनि का नाम लिखिए।
- प्रश्न- शब्द शक्ति क्या है? व्यंजना शक्ति का सोदाहरण परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वक्रोकित एवं ध्वनि सिद्धान्त का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कर रही लीलामय आनन्द, महाचिति सजग हुई सी व्यक्त।
- प्रश्न- वक्रोक्ति सिद्धान्त व इसकी अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजनावाद के आचार्यों का उल्लेख करते हुए उसके साम्य-वैषम्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वर्ण विन्यास वक्रता किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पद- पूर्वार्द्ध वक्रता किसे कहते हैं?
- प्रश्न- वाक्य वक्रता किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रकरण अवस्था किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रबन्ध वक्रता किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आचार्य कुन्तक एवं क्रोचे के मतानुसार वक्रोक्ति एवं अभिव्यंजना के बीच वैषम्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वक्रोक्तिवाद और वक्रोक्ति अलंकार के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- औचित्य सिद्धान्त किसे कहते हैं? क्षेमेन्द्र के अनुसार औचित्य के प्रकारों का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- रसौचित्य किसे कहते हैं? आनन्दवर्धन द्वारा निर्धारित विषयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गुणौचित्य तथा संघटनौचित्य किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रबन्धौचित्य के लिये आनन्दवर्धन ने कौन-सा नियम निर्धारित किया है तथा रीति औचित्य का प्रयोग कब करना चाहिए?
- प्रश्न- औचित्य के प्रवर्तक का नाम और औचित्य के भेद बताइये।
- प्रश्न- संस्कृत काव्यशास्त्र में काव्य के प्रकार के निर्धारण का स्पष्टीकरण दीजिए।
- प्रश्न- काव्य के प्रकारों का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- काव्य गुणों की चर्चा करते हुए माधुर्य गुण के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- काव्यगुणों का उल्लेख करते हुए ओज गुण और प्रसाद गुण को उदाहरण सहित परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- काव्य हेतु के सन्दर्भ में भामह के मत का प्रतिपादन कीजिए।
- प्रश्न- ओजगुण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- काव्य हेतु सन्दर्भ में अभ्यास के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काव्य गुणों का संक्षित रूप में विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- शब्द शक्ति को स्पष्ट करते हुए अभिधा शक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लक्षणा शब्द शक्ति को समझाइये |
- प्रश्न- व्यंजना शब्द-शक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काव्य दोष का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाट्यशास्त्र से क्या अभिप्राय है? भारतीय नाट्यशास्त्र का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- नाट्यशास्त्र में वृत्ति किसे कहते हैं? वृत्ति कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- अभिनय किसे कहते हैं? अभिनय के प्रकार और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रूपक किसे कहते हैं? रूप के भेदों-उपभेंदों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथा किसे कहते हैं? नाटक/रूपक में कथा की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- नायक किसे कहते हैं? रूपक/नाटक में नायक के भेदों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नायिका किसे कहते हैं? नायिका के भेदों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी रंगमंच के प्रकार शिल्प और रंग- सम्प्रेषण का परिचय देते हुए इनका संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाट्य वृत्ति और रस का सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- वर्तमान में अभिनय का स्वरूप कैसा है?
- प्रश्न- कथावस्तु किसे कहते हैं?
- प्रश्न- रंगमंच के शिल्प का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- अरस्तू के 'अनुकरण सिद्धान्त' को प्रतिपादित कीजिए।
- प्रश्न- अरस्तू के काव्यं सिद्धान्त का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- त्रासदी सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चरित्र-चित्रण किसे कहते हैं? उसके आधारभूत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- सरल या जटिल कथानक किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अरस्तू के अनुसार महाकाव्य की क्या विशेषताएँ हैं?
- प्रश्न- "विरेचन सिद्धान्त' से क्या तात्पर्य है? अरस्तु के 'विरेचन' सिद्धान्त और अभिनव गुप्त के 'अभिव्यंजना सिद्धान्त' के साम्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कॉलरिज के काव्य-सिद्धान्त पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य कल्पना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- मुख्य कल्पना और गौण कल्पना में क्या भेद है?
- प्रश्न- वर्ड्सवर्थ के काव्य-भाषा विषयक सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- 'कविता सभी प्रकार के ज्ञानों में प्रथम और अन्तिम ज्ञान है। पाश्चात्य कवि वर्ड्सवर्थ के इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वर्ड्सवर्थ के कल्पना सम्बन्धी विचारों का संक्षेप में विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वर्ड्सवर्थ के अनुसार काव्य प्रयोजन क्या है?
- प्रश्न- वर्ड्सवर्थ के अनुसार कविता में छन्द का क्या योगदान है?
- प्रश्न- काव्यशास्त्र की आवश्यकता का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रिचर्ड्स का मूल्य-सिद्धान्त क्या है? स्पष्ट रूप से विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रिचर्ड्स के संप्रेषण के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रिचर्ड्स के अनुसार सम्प्रेषण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- रिचर्ड्स के अनुसार कविता के लिए लय और छन्द का क्या महत्व है?
- प्रश्न- 'संवेगों का संतुलन' के सम्बन्ध में आई. ए. रिचर्डस् के क्या विचारा हैं?
- प्रश्न- आई.ए. रिचर्ड्स की व्यावहारिक आलोचना की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- टी. एस. इलियट के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए। इसका हिन्दी साहित्य पर क्या प्रभाव पड़ा है?
- प्रश्न- सौन्दर्य वस्तु में है या दृष्टि में है। पाश्चात्य समीक्षाशास्त्र के अनुसार व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव तथा विकासक्रम पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद से क्या तात्पर्य है? उसका उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- साहित्य में मार्क्सवादी समीक्षा का क्या अभिप्राय है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक साहित्य में मनोविश्लेषणवाद के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आलोचना की पारिभाषा एवं उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी की मार्क्सवादी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी आलोचना पद्धतियों को बताइए। आलोचना के प्रकारों का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छंदतावाद के अर्थ और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मनोविश्लेषवाद की समीक्षा दीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की दृष्टिकोण मानवतावादी है इस कथन के आलोक में मार्क्सवाद पर विचार कीजिए?
- प्रश्न- नयी समीक्षा पद्धति पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- विखंडनवाद को समझाइये |
- प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ और परिभाषा देते हुए यथार्थवाद के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कलावाद किसे कहते हैं? कलावाद के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिम्बवाद की अवधारणा, विचार और उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतीकवाद के अर्थ और परिभाषा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संरचनावाद में आलोचना की किस प्रविधि का विवेचन है?
- प्रश्न- विखंडनवादी आलोचना का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर-संरचनावाद के उद्भव और विकास को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की काव्य में लोकमंगल की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की आलोचना दृष्टि "आधुनिक साहित्य नयी मान्यताएँ" का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "मेरी साहित्यिक मान्यताएँ" विषय पर डॉ0 नगेन्द्र की आलोचना दृष्टि पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- डॉ0 रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि 'तुलसी साहित्य में सामन्त विरोधी मूल्य' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की आलोचनात्मक दृष्टि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जी की साहित्य की नई मान्यताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- रामविलास शर्मा के अनुसार सामंती व्यवस्था में वर्ण और जाति बन्धन कैसे थे?